नमस्कार,
दिनांक २९ ऑगस्ट २०१० को जब मैं जम्मू से टाटा सुमो से वापिस श्रीनगर आ रहा था तो ३-४ बोयस सरक के किनारे खरे थे अवंतिपुर से पिच्छे ही गारी से लिफ्ट मांगी बाद मे पठेरों से सुमो पर वार किया गोड की महेरबानी से वे पाथेर सवारी को नहीं लगे । असे लोगो को ऊपर वाला कभी माफ़ नहीं करता । उसके घर मे कोई जोर अज्मयीस नहीं कर सकता । उसने सबको बनाया है एसलिय किसे की चालाकी नहीं चलती ।
द्वारा- भजन सिंह घारू
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