अनशन ,
श्री अन्ना हजारे जी को कोटि-कोटि सलाम ! जिन्होंने यह अभूतपूर्व कदम उठाया . देश उनका सदा ऋणी रहेगा . लेकिन यह कहाँ तक अवश्यक होगा की १०-१५ लोग जो लोकपाल के सिरमौर होगें वो सही और इमानदार होगें व् जब ७४७ लोग देश को सही दिशा नहीं दे पाए तो लोकपाल क्या करेगा तथा कहाँ तक साथ देगा.
मेरे सुझाव-
१.भ्रस्ताचार तो खत्म होना चाहिए लेकिन अटलता के साथ.
२. देश मैं कानूनों की कमी नहीं ,कमी है तो इमानदारी से काम करने की.
३.देश मई आयोगों की बहुतायत है.सब उसकी कमान को पाने की होड़ मे लग जाते हैं. इसलिए शक्तियुक्त लोकपाल होना चाहिए.
४.लोकपाल मे अधिनायकवाद की बू अति है. यह सोच का विशहय है.
५. लोकपाल संसद के प्रति जबाव देय हो.
६. झूठी व् बिना नाम वाली शिकायत पर कारवाही से पूर्व उस की सत्यता को परखा जाना जरुरी हो.
७. वर्ग-३जे व् ४थे कर्मचारी इसमें शामिल नहीं हो उन पर उनका अदिकारी ही karyavahi kare .
८. जनता के प्रति जबाव देहि होनी जरुरी है.
9. अन्ना जी का देश कर्जदार रहेगा अगर बेइमानी खत्म हो जय तो!
१०. हर व्यक्ति को लगन और इमानदारी से काम करना होगा.
द्वारा-भजन सिंह घारू