भाषा,
भाषा कोई भी हो उस का सार्थक ज्ञान होना जरुरी है। भाषा एक विचारों को आदान -प्रदान करने का एक झरिया है, जिस से हम एक-दूजे के विचारों को समझ व् आत्मसात कर लेतें हैं। हाँ यह जरुर मैं कहूँगा की आज के समय में ऊँचा दिखाने के लिए अंग्रेजी को अधिक महत्व देतें हैं, यह नहीं की उन को हिंदी नहीं आती बल्कि यह है की उन को अंग्रेजी भी अच्छी तरह से नहीं आती। यह कहीं नहीं लिखा हुआ की अच्छी हिंदी जानने वाला अच्छी हिंदी बोल सकता है, और यह भी कहीं नहीं लिखा हुआ की अच्छी अंग्रेजी जानने वाला अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है। यहाँ एक बात और भी कह देना जरुरी समझता की भाषा से किसी की विधद्ता को नहीं नापा जा सकता ।
मि० बाकलीवाल तथा मैं भी हिंदी में लिखता हूँ कितने लोग आपको और मेरे विचारों को पढ़ते या फोलो करते हैं। नेताओं , अभिनत्रियों तथा अन्य उच्च लोगों के बोल्ग्स का सब पीछा करते हैं।
गुलामी की बू हम से दूर नहीं हो प् रहीं ,
खेलों हमारा पसीना बहा । चद लोग अपनी तोंद भर गए ।
द्वारा-भजन सिंह घारू
Pages
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- Geeton ki mala
- THE RIGHT TO INFORMATION ACT, 2005
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- भारत का इतिहास
- THE CONSUMER PROTECTION RULES, 1987
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Saturday, May 7, 2011
आज फिर हुआ
आज फिर हुआ,
आज फिर हुआ पढ़ा अखबार जो विश्व में बिकता है तथा खबर जो चित्रों सहित छपी बड़ा दुःख हुआ की जिस भगवान् की हम पूजा करते हैं उसकी तस्वीरें जूतों ,चपलों की पर हों तो हमारी बीमार मानसिकता की निशानी हैं। व्योपार या धंधें के लिए भगवान् की तोहीन ठीक नहीं। धन के लालाचिओं को समझना चाहिए की हम से ऊपर भगवान है उस की मर्जी के बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता , जो कोई भी उस से ऊपर जाने की कोशिश करता है तो वह जल्दी ही उसकी अपनी तैयारी भी करा देता है। वैसे हर इंसान को अपने आप ही समझना होगा की जिस से अपनी जीने की दुआ व् आशिशें लेता है उसी को पेरों मे घसीटें कहाँ तक जायज है। एस लिए मेरा मानना है की हमें घटिया कामों से बचना चाहिए। ताकि हम उस के परकोप से बच सकें। आशा करता हूँ की जो भी गूगल ब्लोग्स के माद्यम से एन विचारों को पढ़े तो वह अपने अन्य दोस्तों को भी बतये।
द्वारा- भजन सिंह घारू
आज फिर हुआ पढ़ा अखबार जो विश्व में बिकता है तथा खबर जो चित्रों सहित छपी बड़ा दुःख हुआ की जिस भगवान् की हम पूजा करते हैं उसकी तस्वीरें जूतों ,चपलों की पर हों तो हमारी बीमार मानसिकता की निशानी हैं। व्योपार या धंधें के लिए भगवान् की तोहीन ठीक नहीं। धन के लालाचिओं को समझना चाहिए की हम से ऊपर भगवान है उस की मर्जी के बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता , जो कोई भी उस से ऊपर जाने की कोशिश करता है तो वह जल्दी ही उसकी अपनी तैयारी भी करा देता है। वैसे हर इंसान को अपने आप ही समझना होगा की जिस से अपनी जीने की दुआ व् आशिशें लेता है उसी को पेरों मे घसीटें कहाँ तक जायज है। एस लिए मेरा मानना है की हमें घटिया कामों से बचना चाहिए। ताकि हम उस के परकोप से बच सकें। आशा करता हूँ की जो भी गूगल ब्लोग्स के माद्यम से एन विचारों को पढ़े तो वह अपने अन्य दोस्तों को भी बतये।
द्वारा- भजन सिंह घारू
Wednesday, May 4, 2011
नतीजा
नतीजा,
बुरे काम का बुरा नतीजा ,
क्यों भाई चा-चा , अरे हाँ भतीजा,
कबीर जी भी इसी तरह फरमाते हैं, '' बोये पेड़ खजूर का तो आम कहाँ से होए ।
आदमी जो कुछ भी करता है उसका हर एक पल का हिसाब ऊपर वाले के पास रहता है। कौन कितना धनवान है कितना ताकतवर है यह कोई मायने नहीं रखता बस हिसाब रहता है तो इसका की किस ने कितने भले काम किये हैं। और उसे उसी का फल भुगतने के लिए तैयार रहना होगा । अगर कोई मैं में चूर है तो वह सब से बड़ा मुर्ख आदमी है। अंत आदमी को परिणाम को झेलने की भी तैयारी रखनी होगी।
द्वारा- भजन सिंह घारू
बुरे काम का बुरा नतीजा ,
क्यों भाई चा-चा , अरे हाँ भतीजा,
कबीर जी भी इसी तरह फरमाते हैं, '' बोये पेड़ खजूर का तो आम कहाँ से होए ।
आदमी जो कुछ भी करता है उसका हर एक पल का हिसाब ऊपर वाले के पास रहता है। कौन कितना धनवान है कितना ताकतवर है यह कोई मायने नहीं रखता बस हिसाब रहता है तो इसका की किस ने कितने भले काम किये हैं। और उसे उसी का फल भुगतने के लिए तैयार रहना होगा । अगर कोई मैं में चूर है तो वह सब से बड़ा मुर्ख आदमी है। अंत आदमी को परिणाम को झेलने की भी तैयारी रखनी होगी।
द्वारा- भजन सिंह घारू
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