नमस्कार,
कल दिनांक ५ सितम्बर को टीचर दे के रूप मै मनाया जाता है। मै उन टीचेरो को धन्यवाद् देता हूँ जो इस सेवा मै समर्पित हैं । और अपना कार्य ईमानदारी के साथ करते हैं। दूजो को ज्ञान देना इक पुन कर्म माना जाता है। बार-बार इस कार्य से जुरे लोगो पर आलोचना की मार परती है। पर फिर भी यह पावन कर्म है। मै इन्हें सलाम करता हूँ।
द्वारा- भजन सिंह घारू
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Saturday, September 4, 2010
Thursday, September 2, 2010
Tuesday, August 31, 2010
नमस्कार,
दिनांक २९ ऑगस्ट २०१० को जब मैं जम्मू से टाटा सुमो से वापिस श्रीनगर आ रहा था तो ३-४ बोयस सरक के किनारे खरे थे अवंतिपुर से पिच्छे ही गारी से लिफ्ट मांगी बाद मे पठेरों से सुमो पर वार किया गोड की महेरबानी से वे पाथेर सवारी को नहीं लगे । असे लोगो को ऊपर वाला कभी माफ़ नहीं करता । उसके घर मे कोई जोर अज्मयीस नहीं कर सकता । उसने सबको बनाया है एसलिय किसे की चालाकी नहीं चलती ।
द्वारा- भजन सिंह घारू
दिनांक २९ ऑगस्ट २०१० को जब मैं जम्मू से टाटा सुमो से वापिस श्रीनगर आ रहा था तो ३-४ बोयस सरक के किनारे खरे थे अवंतिपुर से पिच्छे ही गारी से लिफ्ट मांगी बाद मे पठेरों से सुमो पर वार किया गोड की महेरबानी से वे पाथेर सवारी को नहीं लगे । असे लोगो को ऊपर वाला कभी माफ़ नहीं करता । उसके घर मे कोई जोर अज्मयीस नहीं कर सकता । उसने सबको बनाया है एसलिय किसे की चालाकी नहीं चलती ।
द्वारा- भजन सिंह घारू
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