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Tuesday, September 3, 2013
EARTH
विवरण | पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है। सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह, जिस पर जीवन है। |
अनुमानित आयु | 4600,000,000 (चार अरब साठ करोड़) वर्ष |
सम्पूर्ण धरातलीय क्षेत्रफल | 510,100,500 (इक्यावन करोड़ एक लाख पाँच सौ) वर्ग किमी |
भूमि क्षेत्रफल | 14,84,00,000 वर्ग किमी |
जलीय क्षेत्रफल | 36,13,00,000 वर्ग किमी (71%) |
आयतन | 1.08321X1012 घन किमी |
द्रव्यमान | 5.9736×1024 किग्रा |
औसत घनत्व | 5.52 (पानी के घनत्व के सापेक्ष) |
व्यास | 12,742 किमी |
विषुवत रेखीय व्यास | 12,756 किमी |
ध्रुवीय व्यास | 12,714 किमी |
समुद्रतल से अधिकतम ऊँचाई | 8848 मीटर (माउंट एवरेस्ट) |
समुद्रतल से अधिकतम गहराई | 11,033 मीटर (मरियाना ट्रेंच) |
सूर्य से दूरी | 14,95,97,900 (14 करोड़, 95 लाख, 97 हज़ार, नौ सौ) किमी |
चन्द्रमा से दूरी | 3,84,403 किमी (लगभग) |
परिभ्रमण काल | 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट, 45.51 सेकण्ड |
घूर्णन अवधि | 23 घण्टे, 56 मिनट, 4.091 सेकण्ड (अपने अक्ष पर) |
उपग्रह | चन्द्रमा |
सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुँचने में लगने वाला समय | 8 मिनट 18 सेकण्ड |
पृथ्वी के धरातल का सर्वाधिक निचला स्थान | मृत सागर अथवा डेड सी (समुद्र तल से 423 मीटर नीचे) |
Planets
सौरमण्डल के ग्रह - दायें से बाएं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून
सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं -बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून. इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस। प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने तारों और ग्रहों के बीच में अन्तर इस तरह किया- रात में आकाश में चमकने वाले अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की दिशा से उठते हैं, एक निश्चित गति प्राप्त करते हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा कहा गया। पर कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्डों के सापेक्ष में कभी आगे जाते थे और कभी पीछे - यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet एक लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ होता है इधर-उधर घूमने वाला। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया। शनि के परे के ग्रह दूरबीन के बिना नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए प्राचीन वैज्ञानिकों को केवल पाँच ग्रहों का ज्ञान था, पृथ्वी को उस समय ग्रह नहीं माना जाता था।
आर्यों में जाति व्यवस्था
आर्यों में जाति व्यवस्था
प्रत्येक श्रेष्ठ और सुसभ्य मनुष्य आर्य है | अपने आचरण, वाणी और कर्म में वैदिक सिद्धांतों का पालन करने वाले, शिष्ट, स्नेही, कभी पाप कार्य न करनेवाले, सत्य की उन्नति और प्रचार करनेवाले, आतंरिक और बाह्य शुचिता इत्यादि गुणों को सदैव धारण करनेवाले आर्य कहलाते हैं | ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र यह चार वर्ण वास्तव में व्यक्ति को नहीं बल्कि गुणों को प्रदर्शित करते हैं. प्रत्येक मनुष्य में ये चारों गुण (बुद्धि, बल, प्रबंधन, और श्रम) सदा रहते हैं. आसानी के लिए जैसे आज पढ़ाने वाले को अध्यापक, रक्षा करने वाले को सैनिक, व्यवसाय करने वाले को व्यवसायी आदि कहते हैं वैसे ही पहले उन्हें क्रमशः ब्रह्मण, क्षत्रिय या वैश्य कहा गया और इनसे अलग अन्य काम करने वालों को शूद्र. अतः यह वर्ण व्यवस्था जन्म- आधारित नहीं है|
आजकल प्रचलित कुलनाम ( surname) लगाने के रिवाज से इन वर्णों का कोई लेना-देना नहीं है | हमारे प्राचीन धर्मग्रन्थ रामायण, महाभारत या अन्य ग्रंथों में भी इस तरह से प्रथम नाम- मध्य नाम- कुलनाम लगाने का कोई चलन नहीं पाया जाता है और न ही आर्य शब्द किसी प्रकार की वंशावली को दर्शाता है| निस्संदेह, परिवार तथा उसकी पृष्टभूमि का किसी व्यक्ति को संस्कारवान बनाने में महत्वपूर्ण स्थान है परंतु इससे कोई अज्ञात कुल का मनुष्य आर्य नहीं हो सकता यह तात्पर्य नहीं है | हमारे पतन का एक प्रमुख कारण है मिथ्या जन्मना जाति व्यवस्था जिसे हम आज मूर्खता पूर्वक अपनाये बैठे हैं और जिसके चलते हमने अपने समाज के एक बड़े हिस्से को अपने से अलग कर रखा है – उन्हें शूद्र या अछूत का दर्जा देकर – महज इसलिए कि हमें उनका मूल पता नहीं है | यह अत्यंत खेदजनक है | आर्य शब्द किसी गोत्र से भी सरोकार नहीं रखता | गोत्र का वर्गीकरण नजदीकी संबंधों में विवाह से बचने के लिए किया गया था | प्रचलित कुलनामों का शायद ही किसी गोत्र से सम्बन्ध भी हो |
आर्य शब्द श्रेष्टता का द्योतक है | और किसी की श्रेष्ठता को जांचने में पारिवारिक पृष्ठभूमि कोई मापदंड हो ही नहीं सकता क्योंकि किसी चिकित्सक का बेटा केवल इसी लिए चिकित्सक नहीं कहलाया जा सकता क्योंकि उसका पिता चिकित्सक है, वहीँ दूसरी ओर कोई अनाथ बच्चा भी यदि पढ़ जाए तो चिकित्सक हो सकता है. ठीक इसी तरह किसी का यह कहना कि शूद्र ब्राह्मण नहीं बन सकता – सर्वथा गलत है |
ब्राह्मण का अर्थ है ज्ञान संपन्न व्यक्ति और जो शिक्षा या प्रशिक्षण के अभाव में ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य बनाने की योग्यता न रखता हो – वह शूद्र है | परंतु शूद्र भी अपने प्रयत्न से ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त करके वर्ण बदल सकता है | ब्राह्मण वर्ण को भी प्राप्त कर सकता है | द्विज – अर्थात् जिसने दो बार जन्म लिया हो | जन्म से तो सभी शूद्र समझे गए हैं | ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य इन तीन वर्णों को द्विज कहते हैं क्योंकि विद्या प्राप्ति के उपरांत योग्यता हासिल करके वे समाज के कल्याण में सहयोग प्रदान करते हैं | इस तरह से इनका दूसरा जन्म ‘ विद्या जन्म’ होता है | केवल माता-पिता से जन्म प्राप्त करनेवाले और विद्याप्राप्ति में असफ़ल व्यक्ति इस दूसरे जन्म ‘ विद्या जन्म ‘ से वंचित रह जाते हैं – वे शूद्र हैं | अतः यदि ब्राह्मण पुत्र भी अशिक्षित है तो वह शूद्र है और शूद्र भी अपने निश्चय से ज्ञान, विद्या और संस्कार प्राप्त करके ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य बन सकता है | इस में माता- पिता द्वारा प्राप्त जन्म का कोई संबंध नहीं है |
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक
नई दिल्ली : भूख से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे बडे कार्यक्रम को हरी
झंडी देते हुए संसद ने सोमवार को ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
विधेयक को पारित कर दिया जिसमें देश की दो तिहाई अबादी को भारी
सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करने का प्रावधान है।
इस महत्वाकांक्षी विधेयक को सरकार पासा पलट देने वाला उपाय मान रही है और इससे देश की 82 करोड़ आबादी को फायदा मिलेगा। राष्ट्रपति से अनुमोदन मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जायेगा।
राज्यसभा ने इस विधेयक और सरकार द्वारा इस संबंध में पांच जुलाई को लाये गये अध्यादेश को खारिज करने के संकल्प पर एक साथ हुई चर्चा के बाद इस प्रस्तावित कानून को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके पहले सदन ने विपक्ष के संकल्प को खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पिछले हफ्ते ही मंजूरी प्रदान कर चुकी है।
विपक्ष द्वारा इस विधेयक के विभिन्न अनुच्छेदों पर लाये गये 300 से अधिक संशोधनों को उच्च सदन ने नामंजूर कर दिया।
विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया एक हथकंडा है। साथ ही इसमें खाद्य क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं की ‘रिपैकेजिंग’ कर दी गयी है।
इस विधेयक में लोगों को पांच किलोग्राम चावल, गेहूं एवं मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से हर माह प्रदान करने की गारंटी दी गयी है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री के वी थामस ने संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने से पहले राज्यों से चर्चा नहीं करने के आरोपों से इंकार किया।
उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी थी तथा इस प्रस्तावित कानून में किसानों के हितों की रक्षा के पर्याप्त प्रावधान किये गये है।
उन्होंने कहा कि राज्यों से कई बार सलाह मशविरा किया गया था तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, छत्तीसगढ़ के रमन सिंह सहित अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी।
उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नये उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा। थामस ने कहा कि जब केन्द्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा। ‘हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे। हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते।’
थामस ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली के स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि विभिन्न राज्यों में फिलहाल जो योजनाएं चल रही हैं उन्हें प्रस्तावित कानून के तहत संरक्षण मिलेगा।
थामस ने विभिन्न राज्यों के सदस्यों द्वारा अपने प्रदेशों में चल रही खाद्य सुरक्षा योजना को आदर्श बताये जाने पर कहा कि उनकी योजनाएं एक प्रदेश के लिए आदर्श हो सकती है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के मामले में विभिन्न पक्षों पर ध्यान रखना होता है क्योंकि अलग अलग राज्यों की विभिन्न जरूरतें होती हैं।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकतर आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं।।,30,000 करोड़ रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए करीब 6 करोड टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी।
यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और। रुपये प्रति किलोग्राम के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2 . 43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।
कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़ों की अपनी आदर्श योजनाएं हैं। हर राज्य आदर्श है। लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते। छत्तीसगढ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे।
उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाये गये हैं। (एजेंसी)
झंडी देते हुए संसद ने सोमवार को ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
विधेयक को पारित कर दिया जिसमें देश की दो तिहाई अबादी को भारी
सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करने का प्रावधान है।
इस महत्वाकांक्षी विधेयक को सरकार पासा पलट देने वाला उपाय मान रही है और इससे देश की 82 करोड़ आबादी को फायदा मिलेगा। राष्ट्रपति से अनुमोदन मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जायेगा।
राज्यसभा ने इस विधेयक और सरकार द्वारा इस संबंध में पांच जुलाई को लाये गये अध्यादेश को खारिज करने के संकल्प पर एक साथ हुई चर्चा के बाद इस प्रस्तावित कानून को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके पहले सदन ने विपक्ष के संकल्प को खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पिछले हफ्ते ही मंजूरी प्रदान कर चुकी है।
विपक्ष द्वारा इस विधेयक के विभिन्न अनुच्छेदों पर लाये गये 300 से अधिक संशोधनों को उच्च सदन ने नामंजूर कर दिया।
विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया एक हथकंडा है। साथ ही इसमें खाद्य क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं की ‘रिपैकेजिंग’ कर दी गयी है।
इस विधेयक में लोगों को पांच किलोग्राम चावल, गेहूं एवं मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से हर माह प्रदान करने की गारंटी दी गयी है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री के वी थामस ने संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने से पहले राज्यों से चर्चा नहीं करने के आरोपों से इंकार किया।
उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी थी तथा इस प्रस्तावित कानून में किसानों के हितों की रक्षा के पर्याप्त प्रावधान किये गये है।
उन्होंने कहा कि राज्यों से कई बार सलाह मशविरा किया गया था तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, छत्तीसगढ़ के रमन सिंह सहित अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी।
उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नये उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा। थामस ने कहा कि जब केन्द्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा। ‘हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे। हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते।’
थामस ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली के स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि विभिन्न राज्यों में फिलहाल जो योजनाएं चल रही हैं उन्हें प्रस्तावित कानून के तहत संरक्षण मिलेगा।
थामस ने विभिन्न राज्यों के सदस्यों द्वारा अपने प्रदेशों में चल रही खाद्य सुरक्षा योजना को आदर्श बताये जाने पर कहा कि उनकी योजनाएं एक प्रदेश के लिए आदर्श हो सकती है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के मामले में विभिन्न पक्षों पर ध्यान रखना होता है क्योंकि अलग अलग राज्यों की विभिन्न जरूरतें होती हैं।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकतर आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं।।,30,000 करोड़ रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए करीब 6 करोड टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी।
यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और। रुपये प्रति किलोग्राम के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2 . 43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।
कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़ों की अपनी आदर्श योजनाएं हैं। हर राज्य आदर्श है। लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते। छत्तीसगढ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे।
उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाये गये हैं। (एजेंसी)
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) (MNREGA) एक भारतीय रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 25 अगस्त 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं. 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए है.
इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों. नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है. सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है. शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि इस अधिनियम को वाम दल-समर्थित संप्रग सरकार द्वारा लाया गया था। कई लोगों का मानना है कि इस परियोजना का वादा भारतीय आम चुनाव, २००९ में यूपीए के पुनर्विजयी होने के प्रमुख कारणों में से एक था। यह अधिनियम, राज्य सरकारों को MNREGA "योजनाओं" को लागू करने के निर्देश देता है. MGNREGA के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है. राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है. चूंकि राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता देती हैं, उन्हें श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए भारी प्रोत्साहन दिया जाता है. हालांकि, बेरोजगारी भत्ते की राशि को निश्चित करना राज्य सरकार पर निर्भर है, जो इस शर्त के अधीन है कि यह पहले 30 दिनों के लिए न्यूनतम मजदूरी के 1/4 भाग से कम ना हो, और उसके बाद न्यूनतम मजदूरी का 1/2 से कम ना हो. प्रति परिवार 100 दिनों का रोजगार (या बेरोजगारी भत्ता) सक्षम और इच्छुक श्रमिकों को हर वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाना चाहिए.
Governor of States (2013)
राज्यपाल
Governor | Governor |
---|---|
आंध्र प्रदेश | श्री इक्काडु श्रीनिवासन लक्ष्मी नरसिम्हन |
अरूणाचल प्रदेश | लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) निर्भय शर्मा |
असम | श्री जानकी पटनायक |
बिहार | डॉ. डी. वाई पाटिल |
छत्तीसगढ़ | श्री शेखर दत्त |
गोवा | श्री बी वी वानचू |
गुजरात | डॉ. कमला बेनीवाल |
हरियाणा | श्री जगन्नाथ पहाडिया |
हिमाचल प्रदेश | श्रीमती उर्मिला सिंह |
जम्मू और कश्मीर | श्री एन. एन. वोहरा |
झारखंड | डॉ. सैयद अहमद |
कर्नाटक | श्री हंसराज भारद्वाज |
केरल | श्री निखिल कुमार |
मध्य प्रदेश | श्री राम नरेश यादव |
महाराष्ट्र | श्री के शंकरनारायणन |
मणिपुर | श्री अश्वनी कुमार (अतिरिक्त प्रभार) |
मेघालय | डॉ. के.के. पॉल |
मिज़ोरम | श्री वेककोम पुरुषोत्तमन |
नागालैंड | श्री अश्वनी कुमार |
ओडिशा | श्री एस.सी.जमीर |
पंजाब | श्री शिवराज पाटिल |
राजस्थान | श्रीमती मार्गरेट अल्वा |
सिक्किम | श्री श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल |
तमिलनाडु | श्री के. रोसैया |
त्रिपुरा | श्री देवानंद कंवर |
उत्तर प्रदेश | श्री बी. एल. जोशी |
उत्तराखंड | श्री अजीज कुरैशी |
पश्चिमी बंगाल | श्री एमके नारायणन |
श्री मोहम्मद हमीद अंसारी (उप राष्ट्रपति)
श्री मोहम्मद हमीद अंसारी
पिता का नाम: मोहम्मद अब्दुल अज़ीज अंसारी, माता का नाम: श्रीमती आसिया बेगम
जन्मतिथि: 1 अप्रैल 1937, जन्म स्थान: कलकत्ता
वैवाहिक स्थिति: विवाहित, पत्नी का नाम: श्रीमती सलमा अंसारी
बच्चे: दो पुत्र और एक पुत्री, शैक्षिक योग्यताएं: बी ए (ऑनर्स); एम ए (राजनीति शास्त्र)
धारित पद:
- 1961 में भारतीय विदेश सेवा (आई एफ एस) में कार्यभार संभाला और बगदाद,रबात, जेद्दा और ब्रुसेल्स में भारतीय दूतावासों में कार्य किया।
- संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत (1976-1979)
- भारत सरकार के प्रोटोकॉल प्रमुख (1980-1985)
- ऑस्ट्रेलिया के उच्च आयुक्त (1985-1989)
- अफगानिस्तान के राजदूत (1989-1990)
- इरान के राजदूत (1990-1992)
- संयुक्त राष्ट्र, न्यू यॉर्क के स्थायी प्रतिनिधि (1993-1995)
- सउदी अरब के राजदूत (1995-1999)
- अतिथि प्रोफेसर, सेंटर फॉर वेस्ट एशियन एण्ड अफ्रीकन स्टडीज़, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (दिसम्बर 1999-मई 2000)
- उप कुलपति, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ (2000-2002)
- आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में प्रतिष्ठित अध्येता (2002-2006)
- अतिथि प्रोफेसर, अकादमी फॉर थर्ड वर्ल्ड स्टडीज़, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली (2003-2005)
- सह सभापति, भारत-ब्रिटेन गोलमेज (2004-2006)
- सदस्य, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मंडल (2004-2006)
- अध्यक्ष, तेल कूटनीति सलाहकार समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (2004-2005)
- अध्यक्ष, श्रीनगर में 24-25 मई 2006 को आयोजित प्रधानमंत्री की द्वितीय गोल मेज सम्मेलन द्वारा स्थापित 'राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मविश्वास निर्माण के साधन' पर कार्यकारी समूह; कार्यकारी समूह के प्रतिवेदन को नई दिल्ली में 24 अप्रैल 2007 को आयोजित तीसरे गोल मेज सम्मेलन में अपनाया गया।
- अध्यक्ष, अल्पसंख्यकों के लिए पांचवां संवैधानिक राष्ट्रीय आयोग (मार्च 2006-जुलाई 2007)
- 11 अगस्त 2007 से भारत के उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के पदेन अध्यक्ष।
प्रकाशित पुस्तकें: संपादित, इरान टुडे: ट्वेन्टी फाइव इयर्स आफ्टर द इस्लामिक रिवोल्युशन, नई दिल्ली, 2005 ; पश्चिम एशियाई राजनीति पर अनेक शैक्षिक शोध पत्र और समाचार पत्रों में लेख लिखे हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह
डॉ. मनमोहन सिंह(भारत के चौदहवें प्रधान मंत्री,)
भारत के चौदहवें प्रधान मंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह एक विचारक और विद्वान माने जाते हैं। उन्हें उनके परिश्रम, कार्य के प्रति बौद्धिक सोच तथा मिलनसार और विनम्र व्यवहार के कारण अत्यधिक सम्मान दिया जाता है।
प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव "गाह" में हुआ था। डॉ. सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मैट्रिकुलेशन परीक्षा उत्तीर्ण की। अपने शैक्षिक कैरियर के लिए वे पंजाब से यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज, ब्रिटेन गए, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ ऑनर्स डिग्री अर्जित की। इसके बाद डॉ. सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल की। उनकी पुस्तक "इंडियाज़ एक्सा पोर्ट ट्रेंड्स एण्ड प्रॉस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ" [क्लेरेंडन प्रेस, ऑक्सफोर्ड, 1964] भारत की आंतरिक व्यापार नीति की एक प्रारंभिक समालोचना थी।
डॉ. सिंह की शैक्षिक उपलब्धियां उस दौरान बढ़ीं जब वे पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के संकाय में रहे। इसी दौरान इन्होंने यूएनसीटीएडी सेक्रेटेरिएट में भी कुछ समय के लिए कार्य किया। उन्हें 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में साउथ कमीशन के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
डॉ. सिंह 1971 में उस समय भारत सरकार में आए जब उन्हें वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद इन्हें 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया। डॉ. सिंह ने अनेक सरकारी पदों पर कार्य किया है - जिनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधान मंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शामिल हैं।
स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में बदलाव का दौर तब आया जब डॉ. सिंह ने 1991 से 1996 के बीच पांच वर्षों के लिए भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। आर्थिक सुधारों की व्यापक नीति को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की अब दुनियाभर में सराहना की जा रही है। भारत की उन दिनों की लोकप्रियता को डॉ. सिंह के व्यक्तित्व से जोड़ कर देखा जाता है।
डॉ. सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987), जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवार्ड ऑफ दि इंडियन साइंस कांग्रेस (1995), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड (1993 और 1994), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवॉर्ड (1993), कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956), और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट कार्य-निष्पादन हेतु राइट्स प्राइज़ (1955) शामिल हैं। डॉ. सिंह को अनेक संगठनों ने भी सम्मानित किया है जिनमें जापानी निहोन किजाई शिंबुन शामिल है। डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीज सहित कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।
डॉ. सिंह ने अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने साइप्रस (1993) में राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में और वियना में 1993 में आयोजित किए गए विश्व मानवाधिकार सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडलों का नेतृत्व किया है।
अपने राजनैतिक कॅरियर में, डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे हैं। वहां वे 1998 और 2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनावों के बाद 22 मई को प्रधान मंत्री पद की शपथ ली तथा 22 मई 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ ली।
डॉ. सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं।
Former President of India
Smt Pratibha Devisingh Patil (b - 1934) Term of Office: 25 July 2007 TO 25 July 2012 | ||
DR. A.P.J. Abdul Kalam (b - 1931) Term of Office: 25 July 2002 TO 25 July 2007 | ||
Shri K. R. NARAYANAN (1920 - 2005) Term of Office: 25 July 1997 TO 25 July 2002 | ||
Dr Shankar Dayal Sharma (1918-1999) Term of Office: 25 July 1992 TO 25 July 1997 | ||
Shri R Venkataraman (1910-2009) Term of Office: 25 July 1987 TO 25 July 1992 | ||
Giani Zail Singh (1916-1994) Term of Office: 25 July 1982 TO 25 July 1987 | ||
SHRI NEELAM SANJIVA REDDY (1913-1996) Term of Office: 25 July 1977 TO 25 July 1982 | ||
Dr. Fakhruddin Ali Ahmed (1905-1977) Term of Office: 24 August 1974 TO 11 February 1977 | ||
Shri Varahagiri Venkata Giri (1894-1980) Term of Office: 3 May 1969 TO 20 July 1969 and 24 August 1969 TO 24 August 1974 | ||
Dr. Zakir Husain (1897-1969) Term of Office: 13 May 1967 TO 3 May 1969 | ||
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan (1888-1975) Term of Office: 13 May 1962 TO 13 May 1967 | ||
Dr. Rajendra Prasad (1884-1963) Term of Office: 26 January 1950 TO 13 May 1962 | ||
जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण
पूरा नाम | जयप्रकाश नारायण |
अन्य नाम | लोकनायक, जेपी |
जन्म | 11 अक्टूबर, सन् 1902 ई. |
जन्म भूमि | सिताबदियारा, बिहार |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, सन् 1979 ई. |
मृत्यु स्थान | पटना |
अविभावक | देवकी बाबू, फूलरानी देवी |
पति/पत्नी | श्रीमती प्रभावती |
पार्टी | कांग्रेस |
जेल यात्रा | 7 मार्च सन् 1940 को ब्रिटिश पुलिस द्वारा, हज़ारी बाग़ जेल में क़ैद, आगरा सेन्ट्रल जेल |
विद्यालय | सन 1922 से 1929 ई. के बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बरकली, विसकांसन विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम. ए (समाजशास्त्र से) |
पुरस्कार-उपाधि | सन 1998 ई. में भारत रत्न से सम्मनित |
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