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Tuesday, April 5, 2011
फायदा ,
फायदा, फायदा या लाभ दोनों सब्द एक ही हैं। बड़ी विचित्र सोच या यूँ कह जाय की , फायदा जिसको मिलना चाहिय उसे नहीं मिलता और जिसे जरुरी नहीं उसे यह मिल जाता है। तो परिणाम यह होता है की अभावग्रस्त लोगों की सख्या बढ जाती है। तथा साथ ही देश की माली हालत और माली हो जाती है। पूंजी व् धन से आप एश-आराम कर सकते हैं अपनी सोच नहीं बदल सकते , इन्हीं लोगों को फायदा अधिक मिलता है तो यह वर्ग अधिक शक्त हो जाता है। जब इस वर्ग का कहीं अहित होता है तो यह बड़क जाता हैं। व् दूजे लोगों को इस्तेमाल करता हैं। इसलिए समता,बराबरी ,समानता व् हित आदि का अर्थ समजना होगा और समाज का भला ऐसी में है की सामान्य हित को लेकर आगे बढे ताकि समाज ऊपर उठे। द्वारा-भजन सिंह घारू
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