कहानी -२
एक बार एक विधालय में ७-८ टीचेर्स थे सब लोग बच्चों को बढ़िया पढ़ते थे. पर देखा की उनका जो हैण्ड है वह रोजाना ही कोई न कोई बहाना बनाकर शहर चला जाता था पीछे से दूजे एक -दो कामचोरों को मौका मिल गया बस फिर क्या था जैसे ही उस हैण्ड को पत्ता चला की मेरी तो लोग में बेइजती कर रहे हैं. तो उसे एहसास हो गया की घर का मुखिया अगर कामचोर है तो धीरे-धीरे सब चोरी करेंगे अंत परिवार के मुखिया को अपने को सही साबित करना होता है. जो वह करता है उसका असर बाकियों पर भी जरुर पड़ेगा.
सीख़- बड़े को सोच समझ कर हर कम करना चाहिए.
द्वारा-भजन सिंह घारू
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