राम मनोहर लोहिया (जन्म- 23 मार्च, 1910, कस्बा अकबरपुर, फैजाबाद; मृत्यु- 12 अक्टूबर, 1967, नई दिल्ली) को भारत एक अजेय योद्धा और महान विचारक के रूप में देखता है। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख़ बदल दिया जिनमें एक थे राममनोहर लोहिया। अपनी प्रखर देशभक्ति और बेलौस तेजस्वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही डॉ. लोहिया ने अपने विरोधियों के मध्य भी अपार सम्मान हासिल किया। डॉ. लोहिया सहज परन्तु निडर अवधूत राजनीतिज्ञ थे। उनमें सन्त की सन्तता, फक्कड़पन, मस्ती, निर्लिप्तता और अपूर्व त्याग की भावना थी। डॉ. लोहिया मानव की स्थापना के पक्षधर समाजवादी थे। वे समाजवादी भी इस अर्थ में थे कि, समाज ही उनका कार्यक्षेत्र था और वे अपने कार्यक्षेत्र को जनमंगल की अनुभूतियों से महकाना चाहते थे। वे चाहते थे कि, व्यक्ति-व्यक्ति के बीच कोई भेद, कोई दुराव और कोई दीवार न रहे। सब जन समान हों। सब जन सबका मंगल चाहते हों। सबमें वे हों और उनमें सब हों। वे दार्शनिक व्यवहार के पक्ष में नहीं थे। उनकी दृष्टि में जन को यथार्थ और सत्य से परिचित कराया जाना चाहिए। प्रत्येक जन जाने की कौन उनका मित्र है? कौन शत्रु है? जनता को वे जनतंत्र का निर्णायक मानते थे।
राम मनोहर लोहिया
राम मनोहर लोहिया का जन्म कृष्ण चैत्र तृतीया, 23 मार्च 1910 की प्रात: तमसा नदी के किनारे स्थित कस्बा अकबरपुर, फैजाबाद में हुआ था। उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उनके पिताजी गाँधी जी के अनुयायी थे। जब वे गाँधी जी से मिलने जाते तो राम मनोहर को भी अपने साथ ले जाया करते थे। इसके कारण गाँधी जी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ। लोहिया जी अपने पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।
लोहिया अनेक सिद्धान्तों, कार्यक्रमों और क्रांतियों के जनक हैं। वे सभी अन्यायों के विरुद्ध एक साथ जेहाद बोलने के पक्षपाती थे। वे सात क्रान्तियाँ थी।
- नर-नारी की समानता के लिए।
- चमड़ी के रंग पर रची राजकीय, आर्थिक और दिमागी असमानता के ख़िलाफ़।
- संस्कारगत, जन्मजात जातिप्रथा के ख़िलाफ़ और पिछड़ों को विशेष अवसर के लिए।
- परदेसी ग़ुलामी के ख़िलाफ़ और स्वतन्त्रता तथा विश्व लोक-राज के लिए।
- निजी पूँजी की विषमताओं के ख़िलाफ़ और आर्थिक समानता के लिए तथा योजना द्वारा पैदावार बढ़ाने के लिए।
- निजी जीवन में अन्यायी हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ और लोकतंत्री पद्धति के लिए।
- अस्त्र-शस्त्र के ख़िलाफ़ और सत्याग्रह के लिये।
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