Thursday, February 24, 2011

सबक

नमस्कार,
आदमी आगे-आगे दौड़ता है तथा उतनी ही समस्याएँ उसका पीछा करती चलती हैं । चाहे वह लाख आपने आप मे बदलाव कर लेवे । मै समझता हूँ की उसे सोच-समझ कर आपना फर्ज पूरा करना चाहिए । कभी भी उसे इन मुश्कीलो से मुह नहीं मोड़ना चाहिय तभी वो सफल मनुस्य होगा। अतं "जो दर गया वो मर गया "
द्वारा-भजन सिंह घारू