Tuesday, October 4, 2011

उजाड़ पेड़ ,


एक उजाड़ पेड़ ! अधड सा पेड़ दिखा ,

उसपर लिपटे दो और पेड़,

तना उस का मजबूत है,

इसीलिए वह गिरा नहीं ,

दोनों पेड़ों ने अपना-अपना स्थान बना लिया,

अपनी आंतों से उलझा लिया,

कोई उपर से कोई नीचे से ,

कोई दायें और कोई बांयें से ,

बस लिपट गई और सिमट गई.

जब नन्ही थी तो फर्क नहीं पड़ा ,

जब बढ़ कर दोनों पेड़ बने,

तो छाती पर मुंग दलने लगे,

सारी ही उर्जा वहीँ तक.

और आगे का हिस्सा सकरा होने लगा.

फिर क्या था !

ऊपर हिस्सा झर-झर झरने लगा ,

अब और उजाड़ भी होने लगा.

ऐसा था वो उजाड़ पेड़..

द्वारा  -भजन सिंह घारू

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