Thursday, October 6, 2011

भक्ति आन्दोलन ,


भक्ति का अर्थ उपासना करना होता है. अवम उपासना करने वाले व्यक्ति को ही भक्त कहा जाता है. वह भक्त अपने इस्ट देव व् उपास्य देव के प्रति भक्ति भावना रखता है. इसी प्रकार भक्त अपने इस्ट देव से अपनी मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास करता है.

भागवत गीता में मुक्ति के तीन मार्गों का उलेख मिलता है-

१.ज्ञान मार्ग , २. कर्म मार्ग, ३.भक्ति मार्ग.

भक्ति मार्ग-
भगवन्न की ,व् प्रभु की तथा अपने इश्वरकी भक्ति का मार्ग बतलाता है. यह उसके भजन करने से तथा उपासना करने से प्राप्त होता है. सब से पहले उपासना करना हिन्दू धर्म को मजबूत करने के लिए भक्ति आन्दोलन का प्रमुख आधार था .स्वामी शंकराचार्य ज्ञान मार्ग के प्रमुख उपासक थे.

८वि सदीं तक हिन्दू धर्म ठोस व् व्यापक दार्शनिक आधार करता रहा ताकि लोग बोद्ध धर्म की और आकर्षित न हो. परन्तु शंकराचार्य की जटिलताओं को भारतीय जनता समझ नहीं पी. अवम यह जन आन्दोलन का रूप न ले सके.

भक्ति आन्दोलन की आवश्यकता -

११वि सदीं शुरू लेकर से १६वि सदीं अंत तक भक्ति आन्दोलन जारी रहा-:
(१)- उपासकों को आशा की किरण न दिखाई देने के कारण हिन्दू धर्म के अनुयाई भक्ति या भगवान की शरण में जाने को ही उचित मानने लगे.
(२) भक्ति आन्दोलन को चलने वालों की अधिक सकिर्यता से भक्ति आन्दोलन न अधिक जोर पकड़ा.
(३)सूफी संतों को प्रभाव- भक्ति आन्दोलन को चलने वाले प्रेम व् भक्ति भाव से ईश्वर तक जाने प्रमुख मानते थे.तथा सूफी संतों के आपसी भाई-चारे व् भक्ति भाव से जनता भक्ति आन्दोलन की ओर आकर्षित हुई.
(४) भारतीय जातियों में बढ़ते दुरा-भाव व् हीन भावना को भी भक्ति आन्दोलन को बढावा मिला .
भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संत-

भक्ति आन्दोलन में दो तरह के संत हुए हैं-:

१.सूफी संत- ख्वाजमुदीन चिस्ती, बाबा फरीद, आदि.
२.भरिय संत-कबीर दास, सतगुरु रविदास, गुरु नानक देव, रामानुचार्य , रामानान्द्चार्य, बल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, नामदेव, आदि.



द्वारा भजन सिंह घारू

मित्रों,
मेरा मानना है की कोचिंग का माहौल देश से ख़त्म चाहिये तथा सभी प्रकार की पदों पर  पोस्टिंग मेरिट के आधार पर होनी चाहिए.इस से बेरोजगार युवकों को जल्दी तथा बिना भटके उनको रोजगार मिलेगा,साथ ही कई  हद तक गुस्खोरी कम होगी तथा नौ-जवानों को अपने परिवार पर बोझ भी नहीं बनना होगा.अत:देश से कोचिंग का धंधा बंद हो तो अतिउतम होगा. 
द्वारा-भजन सिंह घारू

Tuesday, October 4, 2011

भारत रत्न,
आज कल भारत रत्न के बारे में काफी चर्चा हो रही है. मैं यहाँ किसी की आलोचना नहीं चाहता परन्तु कुछ भी कहने से पहले उसपर विचार कर लें तो जयादा अच्छा रहेगा. नहीं तो    ऐसा प्रतीत होगा की आप या बव्कुफ़ हैं या आप अपने आप को ज्यादा बुदिमान  समझ रहें हैं. 
कोई भी पुरस्कार देने से पूर्व ही उस की लायाकता को परख लेना आवश्यक है. देश में उस का विकास में क्या योगदान है. कितने लोगों को फायदा हुआ.समाज को कितना लाभ हुआ. समस्त भारत को हित भी हुआ या नहीं. किसी भी विवादास्पद आदमी को किसी हालत में एस तरह के सम्मान नहीं मिलने चाहिए. भारत रत्न  जैसे महत्व-पूरण पुरस्कारों की तो अपनी गरिमा है.
Desolate trees,



A desolate tree! Add a tree showing


He wrapped two more trees,


Stem that is strong,


So he did not fall


Its two trees - taken his place,


Were entangled in their intestines,


From the top down,


From the right and left,


Just wrap and shrink.


When you were little did not make any difference,


When moving the two trees,


The chest were cover green gram,


While all of the energy.


There was further part shrink.


And that was it!


Up the lose - lose out the fountain,


Now started to destroy.


It was so desolate tree ..

by- BHAJAN SINGH GHAROO

उजाड़ पेड़ ,


एक उजाड़ पेड़ ! अधड सा पेड़ दिखा ,

उसपर लिपटे दो और पेड़,

तना उस का मजबूत है,

इसीलिए वह गिरा नहीं ,

दोनों पेड़ों ने अपना-अपना स्थान बना लिया,

अपनी आंतों से उलझा लिया,

कोई उपर से कोई नीचे से ,

कोई दायें और कोई बांयें से ,

बस लिपट गई और सिमट गई.

जब नन्ही थी तो फर्क नहीं पड़ा ,

जब बढ़ कर दोनों पेड़ बने,

तो छाती पर मुंग दलने लगे,

सारी ही उर्जा वहीँ तक.

और आगे का हिस्सा सकरा होने लगा.

फिर क्या था !

ऊपर हिस्सा झर-झर झरने लगा ,

अब और उजाड़ भी होने लगा.

ऐसा था वो उजाड़ पेड़..

द्वारा  -भजन सिंह घारू

Saturday, September 24, 2011

यह धरती कितनी सुन्दर है.



यह धरती पेट पालती है.


यह सबका जीवन सवांरती है.


यह धरती कितनी सुन्दर है..


यह सात समुद्रों को जोड़े है.


यह सात महादिपों को जोड़े है.


यह विभिन्नताओं से लदी हुई,


यह सब ग्रहों का दम तोड़े है.


यह धरती कितनी सुन्दर है..


कहीं जल की नदियाँ बहती हैं,


कहीं झरनों की कल-कल होती है,


कहीं रंग-बिरंगे पक्षी विचरण करतें है,


कहीं धरती श्वेत-चादर ओढ़े सोती है,


यह धरती कितनी सुन्दर है..


कहीं पेट में खनिजों को पाले है,


कहीं पेट से आग उगाले है,


कहीं छेड़े तो यह झटके है,


कहीं स्वर्ण से भरे मटके हैं,


यह धरती कितनी सुन्दर है..


यह धरती कितनी सुन्दर है..


The Earth is so beautiful.



It brings the earth's belly.


It is everyone's life reform,


The Earth is so beautiful ..


It is added to the seven seas.


It is added to seven continents.


It is loaded with variables;


It has broken out of breath all the planets.


The Earth is so beautiful..


Rivers where the water flows,


Of water somewhere sweet - songs is


Where color - colorful birds perform variance is


Earth than white - sleeps wrapped in sheets,


The Earth is so beautiful..


Minerals is to raise somewhere in the stomach,


flow the fire is far from the stomach,


Shocks than it is carried out,


Somewhere that pot full of gold,


The Earth is so beautiful ..


The Earth is so beautiful..


Sunday, September 18, 2011

मित्रों,



हम अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते और अगर हम किसी भी समस्या के आने से अपनी पावर्स का सही उपयोग करें तथा समस्या का निपटारा करें. अन्यथा वहीँ समस्या नासूर बन जायगी. इसके विरुद्ध यदि बार-बार एक ही तरह की समस्या आती है तो इस का अर्थ यह हुआ कि हम ने सही समय पर इसका इलाज नहीं किया. मैं समझता हूँ कि हमें अपना पद छोड़ देने में ही हम सब की भलाई है .
 
Friends,



We can not run away from responsibility and if we encounter problems with any of the Powers of the use and disposal problem. While the problem shall otherwise become cancerous. Against you again and again the same kind of problem, this means that we have not tackled at the right time. I left his office to us is the good of us all.

Saturday, September 17, 2011

Hangar Strike

Hangar Stike of Ho,nable Mr.Annaji,


Mr. Anna Hazare live quality - quality Hats! Who took the unprecedented step. The country is indebted to them forever. But where will Avshyk Ombudsman of 10-15 people who will head is right and the 747 log will be loyal to the country could not give direction to the Ombudsman where, with what will and will.

My suggestion -

1. Brastachar should be finished but with persistence.

2. Country in the lack of laws, not lacks the honesty to work.

3. The country has plenty of commissions in May. All it takes command in the fray. The Ombudsman should be powered.

4. Ombudsman in the smell of dictatorship is over. This thinking is Bishy.

5. Ombudsman to the Parliament are due answers.

6. V. unnamed false complaint before the actions that must be selected to be the truth.

7. Grade 3 J. V. 4 were not included in the staff on them as they Adikari karyavahi kare.

8. Dehi response should be to the people.

9. Anna G. If the country is indebted to Jay out cheating!

10. Each person will have to work diligently and conscientiously.

By - Bhajan Singh gharu

Thursday, September 15, 2011

Friends,

 you have to follow any of their properties is the first obligation - to defects.
We do need to not blindly follow.

From-BHAJAN SINGH GHAROO

Thursday, September 8, 2011

दिल्ली ब्लास्ट की निंदा ,
आज समय आ गया है कि जब सब को एक साथ मिलकर  देश को  मजबूत करना होगा.ऐसे धमाकों की हम सब निंदा करनी चाहिए सर्कार पर दबाव बनाना चाहिए की वो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाही करें. अगर सरकार कारवाही नहीं करती है तो जनता को भ्रस्तचार से पहले देश द्रोही काम करने वालों के विरुद्ध लामबंद होने की जरुरत है. देश द्रोहिओं को हर हालत में जितनी जल्दी हो सजा मिलनी चाहिए . इस में सरकार को थोड़ी सख्ती से काम लेने की जरूरत है.
हामारी सहनशीलता को कमजोरी समझते हैं.
जो भी इस खबर को पढता है उसका पहला काम यही है की वह इंटरनेट के माद्यम से इस की निंदा करे और अपने साथिओं में भी ऐसा करने को कहना चाहिए.

Monday, September 5, 2011

शिक्षक दिवस ,
आज शिक्षक दिवस है.इसे डॉ.राधाकृसना के जन्म दिवस को समर्पित किया गया है.डॉ.राधाक्रिस्नन आजाद भारत के दूजे रास्ट्रपति थे. देश के समस्त नागरिकों को मैं  इस दिन की  बधाई देता हूँ. खास तौर को   ऐसे लोगों को जो इस पेशे से नाता रखते हैं. देश की आने वाली पीड़ी को सही दिशा देने की जरुरत है. और वे इमानदारी से अपना काम करें.

Saturday, August 27, 2011

अनशन ,
श्री अन्ना हजारे जी को कोटि-कोटि सलाम ! जिन्होंने यह अभूतपूर्व कदम उठाया . देश उनका सदा ऋणी रहेगा . लेकिन यह कहाँ तक अवश्यक होगा की १०-१५ लोग जो लोकपाल के सिरमौर होगें वो सही और इमानदार होगें व् जब ७४७ लोग देश को सही दिशा नहीं दे पाए तो लोकपाल क्या करेगा तथा कहाँ तक साथ देगा.
मेरे सुझाव-
१.भ्रस्ताचार तो खत्म होना चाहिए लेकिन अटलता के साथ.
२. देश मैं कानूनों की कमी नहीं ,कमी है तो इमानदारी से काम करने की.
३.देश मई आयोगों की बहुतायत है.सब उसकी कमान को पाने की होड़ मे लग जाते हैं. इसलिए शक्तियुक्त लोकपाल होना चाहिए.
४.लोकपाल मे अधिनायकवाद की बू अति है. यह सोच का विशहय है.
५. लोकपाल संसद के प्रति जबाव देय हो.
६. झूठी व् बिना नाम वाली शिकायत पर कारवाही से पूर्व उस की सत्यता को परखा जाना जरुरी हो.
७. वर्ग-३जे व् ४थे कर्मचारी इसमें  शामिल नहीं हो उन पर उनका अदिकारी ही karyavahi    kare  .  
८. जनता के प्रति जबाव देहि होनी जरुरी है.
9. अन्ना जी का देश कर्जदार रहेगा अगर बेइमानी खत्म हो जय तो!
१०. हर व्यक्ति को लगन और इमानदारी से काम करना होगा.
द्वारा-भजन सिंह घारू

Friday, July 22, 2011

श्री हर मंदिर साहिब अमृतसर (पंजाब )

botal mai ja baithi

बोतल में जा बैठी ,
तुम फिर बोतल में जा बैठी, दरवाजा तों बंद किया था जालिम,
किस दरवाजे से एस में आ बैठी.
नशा तेरी आँखों का औझल नहीं हुआ,
स्पर्श तेरे आँचल का औझल नहीं हुआ,
फिर क्यों रूठी, और दूर जा बैठी..
रह-रह कर तेरी बातें व् हसीन लम्हें याद आते हैं,
समझ पाय न तुझे , कद्र न कर पाय ,पछताते हैं,
 लग जा एक बार होठों पर, आ बैठी..
तुम फिर बोतल में जा बैठी..
तुम फिर बोतल में जा बैठी..
द्वारा-भजन सिंह घारू

Monday, June 27, 2011

kahani -2

कहानी -२
 एक बार एक विधालय में ७-८ टीचेर्स थे सब लोग बच्चों को बढ़िया पढ़ते थे. पर देखा की उनका जो हैण्ड है वह रोजाना ही कोई न कोई बहाना बनाकर शहर चला जाता था पीछे से दूजे एक -दो कामचोरों को मौका मिल गया बस फिर क्या था जैसे ही उस हैण्ड को पत्ता चला की मेरी तो लोग में बेइजती कर रहे हैं. तो उसे एहसास हो गया की घर का मुखिया अगर कामचोर है तो धीरे-धीरे सब चोरी करेंगे अंत परिवार के मुखिया को अपने को सही साबित करना होता है. जो वह करता है उसका असर बाकियों पर भी जरुर पड़ेगा.
सीख़- बड़े को सोच समझ कर हर कम करना चाहिए.
            द्वारा-भजन सिंह घारू

Sunday, June 26, 2011

kahani-1

 कहानी-१
 मैं जो कहानी कहने जा रहा हूँ वह किसी सोभाग्य से मेल खा जाती है तो इसे मात्र इतफाक ही कहा जा सकता है.

एक बैठक चल रही थी तो एक अखड़ किस्म का अफसर आया तो कहने लगा ये जितने भी नेता हैं सब को मैं अच्छी तरह से जनता हूँ. कौन कितने पानी में है यह किसी से छुपा नहीं है. मैं किसी डरता नहीं हूँ. जितने भी उपस्तिथ सज्जन जो सुन रहे थे . वे सब सोच में डूब गए की , सब चक्कर में थे की हो न हो गृहमंत्री साहब का रिश्ते दार होगा बाद में पत्ता चला की उनका पारा मीटिंग  में अक्सर चढ़ जाता था . इसी परे की वजह से उन्होंने एक चिठ्ठी लिख डाली की अमुख व्यक्ति को एक जगह से दूसरी जगह पर से किक मरी जाती है (बदली की जाती है.) इसी किक पर उसने मानहानि का केस कर दिया फिर काया था कुछ दिनों बाद वह भगवान को प्यारा हो गया .
सबक- बोलते समय सयंम का उपयोग जरूरी..
द्वारा-भजन सिंह घारू

Wednesday, June 8, 2011

अछे नहीं लगते

हम उन्हेँ अच्छे नहीं लगते।
हम जो पहने कच्छे , अच्छे नहीं लगते।
उपरी सितारों की चमक दमक है दमदार,
अन्दर है मैल दबी हुई, अच्छे नहीं लगते॥
ऊपर की चमड़ी का रंग साफ- सुथरा ,
अन्दर है कालिख पुती हुई, अच्छे नहीं लगते॥
हम जो आह भरे, उनको सहन नहीं होता,
वो जो सरेआम चिंघाड़े ,अच्छे नहीं लगते॥
घिट जाये पूरा सामान जनता का,
हम जो सुखी डकार मारे ,अच्छे नहीं लगते॥
जरा सी पीर से कराह उठाते हैं वो ,
हम पर वारों की करे बोछार, अच्छे नहीं लगते॥
कहतें हैं उनकी बात बड़ा दम है,
हम जो बोले तो लगे बकवास ,अच्छे नहीं लगते॥

सव रचित -भजन सिंह घारू

Saturday, June 4, 2011

खेल बिगाड़ा

जिस का जंहाँ लगा दांव वहां मारा, जीने का आधा खेल बिगाड़ा।
कोई लिपट गया , कोई सटक गया,
कोई अटका गया,
और कोई कर भाग गया॥
जिस का जहाँ लगा---
किसी ने बड़ा भाई बन कर घाँव किए ,
जो कभी अकेला था कहीं,
उस ने भी खंडा खोद डाला।
जिस का जंहाँ लगा धांव वहां मारा ॥
सव-रचित द्वारा- भजन सिंह घारू

Friday, May 27, 2011

कुछ नहीं कर सकते

कुछ नहीं कर सकते ,
जिसके हाथ में पॉवर है वे करना नहीं चाहते यानि उनकी मंशा ठीक नहीं, तथा जो करना चाहते हैं उनके हाथ में पॉवर नहीं हैं। बहुत बार मंत्री स्तर के नेता ऐसा कहते सुना की कानून वाव्स्था ठीक नहीं हैं जबकि उसके पास कितनी पॉवर हैं यह हम और आप भी जानते हैं। पर वह कुछ करना नहीं चाहते। खली लोगों को बेवकूफ बनाते हैं, जिस दिन आम जनता को यह बात समझ आ जाएगी उस दिन सब ठीक हो जायेगा। मैं उस दिन का इतजार करूंगा । आम लोगों का भला भी तभी होगा॥
द्वारा- भजन सिंह घारू

Monday, May 9, 2011

वो लम्हा,

वो लम्हा ,
फिर वो लम्हा सपने में आ टपका, मन विचलित हुआ।
कहीं पुन ऐसा हुआ तो क्या होगा।
चिंता में डूबी नाव , चेहरे का रंग बदल गया,
मित्र भी पराये से लगते हैं, पराये भी धुत्कारतें हैं।
कहाँ से आ गया दिमाग चाटने को,
जेब मुद्राविहीन, नगर का चक्र कटा, दोटू टका दबाये हुए,
कितनी बार चक्षु भीगे, गिनके तो उदासी होती है।
अरदास उस से यहीं करूगां , ऐसे सपनो का क्रम टूटे, कहीं सच हो गया तो,
मन चिंता में डूब गया।
चेहरे का रंग फीका होने लगा।
सपने तो सपने हैं, न अपने हैं,बस सपने हैं॥
सव रचित-भजन सिंह घारू

Sunday, May 8, 2011

चीखं

चीखं ,
संभाले रखूं चीख मेरी आखरी बची हुई।
ये गई ,वो गई, हर चीख मेरी सच्ची हुई॥
कोई खा रहा था, किसी का पेट काटकर,
कोई नहा रहा था, बरसात जो बची हुई॥
चल रहे थे साथ मिलकर, एक आगे सटक गया,
बाकि हाथ मलते रहे, दूजे कहें ये अच्छी हुई॥
हमें तो अपनों ने मारा, गेरों में कहाँ दम था ,
पता भी न चला , न पहचान उबरी दबी हुई॥
चीखों में चीखे निकलती रही, हर बार क़यामत आती रही,
शमशान से दुरी कम न रही, बस बर्बाद कभी न कमी हुई॥
संभालें रखूं चीख मेरी आखरी बची हुई।
ये गई, वो गई, हर चीख मेरी सच्ची हुई॥
सव-रचित- भजन सिंह घारू

तीन मंत्रियों की दरकार

तीन मंत्रियों की दरकार,
कहिये जनाब , आपकी है सरकार।
मेरे तीन मंत्री हैं ! है दरकार, है दरकार॥
मार्ग बदला ,सिंदांत छोड़ा, साथ पकड़ा है तुम्हारा।
तुम चाल चलो, हर बार लात खाय , यहीं किस्मत है हमारा॥
तुम्हारी सत्ता ही बदल देगें, हर बंद है कामकाज।
मेरे तीन मंत्री हैं, है दरकार, है दरकार॥
मेरे शेत्र में विचरण करना हो, इनका साथ जरुरी है।
दशिन की गंगा में दुबकी, तो खैरात बटाना जरुरी है।
नंबर एक बन्दा हो तेरा, तो शर्म न करो सरकार॥
मेरे तीन मंत्री है, है दरकार, है दरकार॥
सव-रचित -भजन सिंह घारू

Saturday, May 7, 2011

भाषा

भाषा,
भाषा कोई भी हो उस का सार्थक ज्ञान होना जरुरी है। भाषा एक विचारों को आदान -प्रदान करने का एक झरिया है, जिस से हम एक-दूजे के विचारों को समझ व् आत्मसात कर लेतें हैं। हाँ यह जरुर मैं कहूँगा की आज के समय में ऊँचा दिखाने के लिए अंग्रेजी को अधिक महत्व देतें हैं, यह नहीं की उन को हिंदी नहीं आती बल्कि यह है की उन को अंग्रेजी भी अच्छी तरह से नहीं आती। यह कहीं नहीं लिखा हुआ की अच्छी हिंदी जानने वाला अच्छी हिंदी बोल सकता है, और यह भी कहीं नहीं लिखा हुआ की अच्छी अंग्रेजी जानने वाला अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है। यहाँ एक बात और भी कह देना जरुरी समझता की भाषा से किसी की विधद्ता को नहीं नापा जा सकता ।
मि० बाकलीवाल तथा मैं भी हिंदी में लिखता हूँ कितने लोग आपको और मेरे विचारों को पढ़ते या फोलो करते हैं। नेताओं , अभिनत्रियों तथा अन्य उच्च लोगों के बोल्ग्स का सब पीछा करते हैं।
गुलामी की बू हम से दूर नहीं हो प् रहीं ,
खेलों हमारा पसीना बहा । चद लोग अपनी तोंद भर गए ।
द्वारा-भजन सिंह घारू

आज फिर हुआ

आज फिर हुआ,
आज फिर हुआ पढ़ा अखबार जो विश्व में बिकता है तथा खबर जो चित्रों सहित छपी बड़ा दुःख हुआ की जिस भगवान् की हम पूजा करते हैं उसकी तस्वीरें जूतों ,चपलों की पर हों तो हमारी बीमार मानसिकता की निशानी हैं। व्योपार या धंधें के लिए भगवान् की तोहीन ठीक नहीं। धन के लालाचिओं को समझना चाहिए की हम से ऊपर भगवान है उस की मर्जी के बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता , जो कोई भी उस से ऊपर जाने की कोशिश करता है तो वह जल्दी ही उसकी अपनी तैयारी भी करा देता है। वैसे हर इंसान को अपने आप ही समझना होगा की जिस से अपनी जीने की दुआ व् आशिशें लेता है उसी को पेरों मे घसीटें कहाँ तक जायज है। एस लिए मेरा मानना है की हमें घटिया कामों से बचना चाहिए। ताकि हम उस के परकोप से बच सकें। आशा करता हूँ की जो भी गूगल ब्लोग्स के माद्यम से एन विचारों को पढ़े तो वह अपने अन्य दोस्तों को भी बतये।
द्वारा- भजन सिंह घारू

Wednesday, May 4, 2011

नतीजा

नतीजा,
बुरे काम का बुरा नतीजा ,
क्यों भाई चा-चा , अरे हाँ भतीजा,
कबीर जी भी इसी तरह फरमाते हैं, '' बोये पेड़ खजूर का तो आम कहाँ से होए ।
आदमी जो कुछ भी करता है उसका हर एक पल का हिसाब ऊपर वाले के पास रहता है। कौन कितना धनवान है कितना ताकतवर है यह कोई मायने नहीं रखता बस हिसाब रहता है तो इसका की किस ने कितने भले काम किये हैं। और उसे उसी का फल भुगतने के लिए तैयार रहना होगा । अगर कोई मैं में चूर है तो वह सब से बड़ा मुर्ख आदमी है। अंत आदमी को परिणाम को झेलने की भी तैयारी रखनी होगी।
द्वारा- भजन सिंह घारू

Tuesday, April 26, 2011

सत्य साईं बाबा



सत्य साईं बाब़ा को शर्दान्जली

एव मेरा शत-शत नमन

Friday, April 22, 2011

आ रे बदरा

आ रे बदरा ,
आ रे बदरा आ रे बदरा तू जल्दी से प्यास बुझा।
न हम को तू तडपा, बस जल्दी से तू आ॥
धरती का जीव तड़प रहा है,
ये जंगल भी जल रहा है,
मानव बहुत हो मजबूर चला है,
अब तो साथ निभा ॥ बस जल्दी से तू आ॥
सावन सुखा-सखा है,
उसने भी क्या देखा है,
चारों ओर ख़ामोशी है,
अपना ही राग सुना॥ बस जल्दी से तू आ॥
अब बहुत हुआ न कहर ढा,
कुछ तो रहम कर न तडपा ,
हम बन्दे हैं तेरे उस प्रीतम के,
जिसका तुम पर प्यार फला॥ बस जल्दी से तू आ॥
द्वारा रचना -भजन सिंह घारू

क्या कहिये

क्या कहिये ,
मेरी तरह जो तुम भी रोओं , शान तुमारी क्या कहिये।
ठुमक-ठुमक तुम चलते जाओ ,आन तुमारी क्या कहिये॥
उलझी लत ये,कोई देखें, जान तुम्हारी क्या कहिये॥
सीना जो धक्-धक् धडके है,परेशान बेचारी क्या कहिये॥
सौ-सौ चूहे खाएके बिल्ली चली है, सरेआम बेचारी क्या कहिये॥
बांटे हैं सब कुछ , लगता न फिर कुछ , सामान बेचारी क्या कहिये॥
घूस खोरी पर ये वो जा बैठे, इमान बे -चारी क्या कहिये॥
सब के मालिक समझे अब तो, भगवान बे-चारी क्या कहिये॥
स्व-रचित द्वारा- भजन सिंह घारू

दुःख

दुःख ,
मैंने अपनी स्व रचित रचनों को मरकजी महकमें से छापने की गुजारिश की थी , परन्तु उसने एस टिपणी के साथ लौटा दी की यह मानने लायक नहीं है भगवान ऐसी सोच वालो का जल्दी ही इतजाम करेगा जो नाग की तरह कुंडली मरे बैठे हैं । मैं ऐसी घटिया सोच के लोगो की कड़े शब्दों मैं निंदा करता हूँ। अगर वे इसे पढ़े तों अपना मुंह अयने में देख कर ढक ले ताकि शर्म से लजित न हों।
द्वारा-भजन सिंह घारू

Tuesday, April 12, 2011

चिन्ता

चिन्ता, चिन्ता व् फिकर एक शब्द लगता है। पर इसको समझाने की जरूरत है। सब अपने आप में व्यस्त हैं । नीतियाँ बनाने वाले अपने में मस्त हैं। कोई तो बेखर है व् कोई जनबुजकर अनजान है । कर सकता है पर उसे अपने को सवारने के अलावा समय नहीं है। कौन किसकी फिकर करेगा यह सवाल बड़ा है। बड़ी मछली छोटी मछली को खा रही है। सब देख रहें हैं कोई बोलने वाला नहीं । ऊपर वाला सब पर नजर रखे हुय है। उससे वो डरते नहीं हैं। हडियाँ जबाव दे रहीं हैं तब भी वो इकठा करने में लगा हुआ हैं। पूरा जाल उसने बिछा लिया है । फिर भी मन उस का नहीं भरा है। शायद एस से आगे का मार्ग उस के पास हो। !! चिन्ता पर चिंतन होना चाहिए !! धन्यवाद ! द्वारा-भजन सिंह घारू

Saturday, April 9, 2011

हवा

हवा , हवा के झोंकों के साथ सभी बह जाते हैं। बुडे बाप के चार बेटे थे । चारों रोज लड़ते थे तो एक दिन उस बुडे बाप ने लकड़ियों का गठा मगवाया और एक-एक लकड़ी करके एक-एक को दी व् कहा की इसे तोड़ो सब ने अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी अब बुडे ने ८-१० लकड़ियों को एक-एक करके इकठा किया तथा कहा बरी-बरी से इसे तोड़ों पर कोई भी उसे नहीं तोड़ सका फिर बुडे बाप ने सब को एक साथ तोड़ने को कहा तो उसे तोड़ दिया। एकता मे बल है यह सही है। परन्तु अगर कोई अकेला ही किसी अवार्ड को प्राप्त करता है तो उसे नकारना नहीं चाहिए । सारे एक बात के पीछे ही दोड़ते हैं। द्वारा-भजन सिंह घारू

Tuesday, April 5, 2011


यह मैं हूँ ।

कोई खास बात नहीं है मुझ मे । मैं बहुत ही सीधा-साधा बन्दा हूँ। बिलकुल सही बात

करता हूँ तथा लोग मेरा कभी-कभी नाजयज फायदा उठा लेते हैं।

बस यही मेरी थोड़ी सी कमजोरी है।

बस आगे क्या कहूँ ।

द्वारा- भजन सिंह घारू

फायदा ,

फायदा, फायदा या लाभ दोनों सब्द एक ही हैं। बड़ी विचित्र सोच या यूँ कह जाय की , फायदा जिसको मिलना चाहिय उसे नहीं मिलता और जिसे जरुरी नहीं उसे यह मिल जाता है। तो परिणाम यह होता है की अभावग्रस्त लोगों की सख्या बढ जाती है। तथा साथ ही देश की माली हालत और माली हो जाती है। पूंजी व् धन से आप एश-आराम कर सकते हैं अपनी सोच नहीं बदल सकते , इन्हीं लोगों को फायदा अधिक मिलता है तो यह वर्ग अधिक शक्त हो जाता है। जब इस वर्ग का कहीं अहित होता है तो यह बड़क जाता हैं। व् दूजे लोगों को इस्तेमाल करता हैं। इसलिए समता,बराबरी ,समानता व् हित आदि का अर्थ समजना होगा और समाज का भला ऐसी में है की सामान्य हित को लेकर आगे बढे ताकि समाज ऊपर उठे। द्वारा-भजन सिंह घारू

Monday, April 4, 2011

विशव कप

विश्व कप, भारत ने २०११ का विश्व कप जीता और पूरी दुनिया में अपना नाम ऊँचा किया । पूरा देश एस टीम पर फकर करता है। मैं अपने इस ब्लॉग के माद्यम से देश के तमाम नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इतना जोश और अँधा विश्वास व् जूनून कभी नहीं देखा । न ही पूरी के किसी कोने में ऐसा कहीं हुआ है। सचिन, धोनी , गंबीर, विराट आदि ने मिलकर जो कमाल किया । वह तारिफेकाबिल है। ऐसी ही मिसालें देश के हर कोने से मिलनी चाहिय । तभी देश विश्व शक्ति बन सकेगा। एक बार फिर सारी टीम को बहुत -बहुत बधाई। द्वारा-भजन सिंह घारू

Friday, March 25, 2011

हमारा फर्ज

हमारा फर्ज
मित्रों आएई आज हम हमरे फर्ज के बारे में चर्चा करते हैं। जो आज के समय के लिए जरुरी है। हमारा फर्ज होना चाहिए की किस प्रकार से जनता का अधिक से अधिक भला हो और सामान्य हित को हमें नजर में रखना होगा , अगर आम आदमी की भलाई को ध्यान में रखतें हैं तो हम समाज व् जनता के कल्याणी सिंध होगें । और जनता अपना फर्ज स्वंम ही करती चलेगी तथा कहीं से विन्द्रोह की चिंगारी नहीं उठेगी। जब-जब लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात हुआ तब-तब दुनिया में विन्द्रोह हुआ । इसीलिए कहा गया है की" हिटलर की रही ताकत हम किस खेत मुली"
धरती पर पुत्र बहुत हैं परन्तु धरती-पुत्र नहीं है । हम सब ढोंग झूठी शान को ज्यादा अच्छा मानते हैं जो खुद के लिए तथा समाज के लिए अच्छी नहीं है।
अन्तं हमारा लश्य यह होना की हम कितना दिलचस्पी से काम करते हैं। एवं आम आदमी का कितना भाल हुआ है।
आज के लिए इतना ही ! धन्यवाद
द्वारा-भजन सिंह घारू

Wednesday, March 23, 2011

सचिन को सलाम

सचिन को सलाम।
सचिन जैसे महान बल्लेबाज की तारीफ करना दिए को बाती दिखाने के संमान है। इतनी महान भारत देश का सपूत होना हमारे लिए गर्व की बात है। दूजे लोगों को भी सीख लेनी चाहिए। हर आदमी को इससे सीख लेनी की जरुरत है। अगर समय रहते भी लोग समझ जाय तो बहुत अच्छा होगा। मुझे लगता है की आजकल देश में
ऐसे लोगो की सख्त जरुरत है। मैं दूजों की बात नहीं करता मैं तो अपनी बात करता हूँ , दूजे को सीख देने से पहले अपने गरेबान में झाकना होगा , वैसे भी इमानदार लोगो दूर होते जा रहें है।
एक बार फिर ऐसे महान खिलाडी को मेरा सलाम !
द्वारा-भजन सिंह घारू

Monday, March 14, 2011

सनम

सनम,
चुपके से आना मेरे सनम ,देख न ले तेरे जमाना कदम।
लगता है एसे] मिले हो जेसे, कई मरतबा यहाँ ,
रहे अलग हैं,जिसम जुदाह है, अलग हुए हैं यहाँ।
चुपसे आना मेरे सनम......
तेरे सांसो की हर खुशबु मे महक मेरी है,
विखरें न कहीं समेटें रहो हर धमक मेरी है।
चुपके से आना मेरे सनम ,देख न ले जमाना कदम॥
द्वारा- भजन सिंह घारू

जापान मै सुनामी

नमस्कार ,
विपदा मै साथ देना और उसमे अपनी सवेंदनाएँ जताना एक फर्ज नहीं बल्कि किसी पीड़ा मे शामिल होना है। विपदा किसी पर भी आ सकती है। इतनी खतरनाक घटना के बाद पूरे विश्व को सबक या सीख लेने की जरुरत है। ताकि एस प्रकार की आपदाओं से कैसे बचा जाय व् उस के लिय पूर्व से तैयारी की जा सके । मै एक भयंकर आपदा से हुय विनाश तथा जान-माल की शहती से गहरा दुःख हुआ है। भगवान जापान वासियों को सहन -शक्ति प्रदान करें । सब लोगों की जिमेदारी है की इसमे बढ़कर सहायता करें।
द्वारा-भजन सिंह घारू

Saturday, March 5, 2011

फोटो मेरे





भजन सिंह घारू, डॉ०दिनेश कुमार , श्री अमित , श्री जय प्रकाश शर्मा ।










जस्रोता माता मंदिर दर्शन,

Wednesday, March 2, 2011

जन्म दिन मुबारक


जन्म दिन की ढेरों शुभ-कामनाएं ,

शरदे शुशील बाकलीवाला जी आपको सठियाने को पार करने की बहुत-बहुत बधाई तथा आपके शतक पूरा करने की मै भगवान से प्रार्थना करूगां व् उम्मीद करता हूँ की आप इसी तरह से नेट के माद्यम से हिंदी का महत्व बढ़ाते रहगें।

एक बार फिर जन्म दिन मुबारक

Tuesday, March 1, 2011

महाशिव रात्रि

महाशिव रात्रि ,

हमारे यहाँ देवी-देवताओं की पूजा अर्चना प्राचीन समय से चली आ रही है। जिसमे महाशिवरात्रि का अपना महत्व है । हिन्दू धर्म भगवान शिवजी अपना अलग स्थान है। इस दिनलोग व्रत रखते हैं तथा शिव मदिर मै जा कर पूजा अर्चना करते है। अवं भगवान से अपनी तथा अपने परिवार की खुश-हाली की मन्नत मांगते है।

महिलायं भी इस दिन पर व्रत रख कर अपने तथा अपने परिवार की सुखद कामना करती है। और भोले बाबा सबकी झोली भरते है। मै अपनी और से गूगल नेट के द्वारा भोले बाबा से समस्त जगत की खुश-हाली कामना करता हूँ। कल २ मार्च २०११ को महाशिव रात्रि की सबको बहुत-बहुत बधाई।

द्वारा - भजन सिंह घारू

Sunday, February 27, 2011

बधाई

सचिन को बधाई ,
विशव कप मै सचिन द्वारा बनाये गए १०० रन भारत की जीत मे मील का पत्थर साबित होगें । मै अपनी और से सचिन को ४७वि शतक लगाने पर बहुत बहुत बधाई देता हूँ। तथा उम्मीद करता हूँ की आज देश हमारा जीतेगा।
भारत की जय !

कविता

साकी
आय थे तुम से मिलने साकी,
राह तकते रहे, आखें नम हो गई।.
हर सुबह तेरे नाम से शुरू होती है।
हो जाय to समझू तू मेरे साथ होती है।
शाम ढल गई है रात है बाकि।
आये थे तुम से मिलने साकी।।
तेरे चेहरे मे मुझे तकदीर नझर आती है।
हर हसीन लम्हे मे तासीर नझर आती है।
नझर रखना सदा, हो न जाय आकी।
आये थे तुम से मिलने साकी ।।
राह तकते रहे, आखेँ नाम हो गई।।

क्रिकेट मैच

आज विश्व कप मै भारत और इंग्लैंड का दूसरा मैच है। मै अपने ब्लॉग के माद्यम से भारत की क्रिकेट टीम को बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ देता हूँ तथा उम्मीद करता हूँ की देश की टीम अधिक अंतर से जीते। सभी खिलाडी अपने बाल व् बल्ले को तह्सली से खेले तथा अपना धयान टार्गेट पर रखे । धोनी , सहवाग,सचिन, गभीर ,कोहली ,भाजी , पठान , जहीर, के हौसलों की मे दाद देता हूँ।
द्वारा- भजन सिंह घारू

भर्ष्टाचार

भर्ष्टाचार पुरे विशव को जंग की तरह खाए जा रहा है। इससे निपटने के लिए व्यक्ती का जागरूक होना जरूरी है । ताली हमेशा दोनों हाथों से ही बजती है। अगर देने वाला नहीं होगा तो लेने वाला कहाँ से लेगा । इसके विपरीत लोग अधिक मतलबी हो गए है। थोड़ा त्याग तो करना ही पड़ेगा। तभी कहीं नाक मे नकेल लग पायगी । यह सोच लिया जाय की सरकार ही सब कुछ करे । मेरा ख्याल है यह सरकार के साथ जादती होगी। खाली मन मे पुलाव बनाने से कुछ नहीं हो सकता । थोड़ी सर-दर्दी तो उठानी ही चाहिए तभी हम सब का हित हो सकता है।
द्वारा-भजन सिंह घारू

Thursday, February 24, 2011

सबक

नमस्कार,
आदमी आगे-आगे दौड़ता है तथा उतनी ही समस्याएँ उसका पीछा करती चलती हैं । चाहे वह लाख आपने आप मे बदलाव कर लेवे । मै समझता हूँ की उसे सोच-समझ कर आपना फर्ज पूरा करना चाहिए । कभी भी उसे इन मुश्कीलो से मुह नहीं मोड़ना चाहिय तभी वो सफल मनुस्य होगा। अतं "जो दर गया वो मर गया "
द्वारा-भजन सिंह घारू

Saturday, January 15, 2011

Lohri

नमस्कार,
13 जनवरी को लोहरी का पर्व था।यह खुशियों का मौका हर साल आता है। तथा हम लोग मूंगफली, रेवरियाँआदि बाँटते हैं। लोग एक दूजे को बधाई देते हैं।मैं अपनी और से बहुत- बहुत बधाई देता हूँ।
द्वारा-भजन सिंह घारू