Friday, April 22, 2011

आ रे बदरा

आ रे बदरा ,
आ रे बदरा आ रे बदरा तू जल्दी से प्यास बुझा।
न हम को तू तडपा, बस जल्दी से तू आ॥
धरती का जीव तड़प रहा है,
ये जंगल भी जल रहा है,
मानव बहुत हो मजबूर चला है,
अब तो साथ निभा ॥ बस जल्दी से तू आ॥
सावन सुखा-सखा है,
उसने भी क्या देखा है,
चारों ओर ख़ामोशी है,
अपना ही राग सुना॥ बस जल्दी से तू आ॥
अब बहुत हुआ न कहर ढा,
कुछ तो रहम कर न तडपा ,
हम बन्दे हैं तेरे उस प्रीतम के,
जिसका तुम पर प्यार फला॥ बस जल्दी से तू आ॥
द्वारा रचना -भजन सिंह घारू

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