Tuesday, September 3, 2013

डॉ. मनमोहन सिंह

डॉ. मनमोहन सिंह(भारत के चौदहवें प्रधान मंत्री,)
भारत के चौदहवें प्रधान मंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह एक विचारक और विद्वान माने जाते हैं। उन्हें उनके परिश्रम, कार्य के प्रति बौद्धिक सोच तथा मिलनसार और विनम्र व्यवहार के कारण अत्यधिक सम्मान दिया जाता है।
प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव "गाह" में हुआ था। डॉ. सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मैट्रिकुलेशन परीक्षा उत्तीर्ण की। अपने शैक्षिक कैरियर के लिए वे पंजाब से यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज, ब्रिटेन गए, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ ऑनर्स डिग्री अर्जित की। इसके बाद डॉ. सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल की। उनकी पुस्तक "इंडियाज़ एक्सा पोर्ट ट्रेंड्स एण्ड प्रॉस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ" [क्लेरेंडन प्रेस, ऑक्सफोर्ड, 1964] भारत की आंतरिक व्यापार नीति की एक प्रारंभिक समालोचना थी।
डॉ. सिंह की शैक्षिक उपलब्धियां उस दौरान बढ़ीं जब वे पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के संकाय में रहे। इसी दौरान इन्होंने यूएनसीटीएडी सेक्रेटेरिएट में भी कुछ समय के लिए कार्य किया। उन्हें 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में साउथ कमीशन के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
डॉ. सिंह 1971 में उस समय भारत सरकार में आए जब उन्हें वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद इन्हें 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया। डॉ. सिंह ने अनेक सरकारी पदों पर कार्य किया है - जिनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधान मंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शामिल हैं।
स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में बदलाव का दौर तब आया जब डॉ. सिंह ने 1991 से 1996 के बीच पांच वर्षों के लिए भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। आर्थिक सुधारों की व्यापक नीति को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की अब दुनियाभर में सराहना की जा रही है। भारत की उन दिनों की लोकप्रियता को डॉ. सिंह के व्यक्तित्व से जोड़ कर देखा जाता है।
डॉ. सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987), जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवार्ड ऑफ दि इंडियन साइंस कांग्रेस (1995), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड (1993 और 1994), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवॉर्ड (1993), कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956), और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट कार्य-निष्पादन हेतु राइट्स प्राइज़ (1955) शामिल हैं। डॉ. सिंह को अनेक संगठनों ने भी सम्मानित किया है जिनमें जापानी निहोन किजाई शिंबुन शामिल है। डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीज सहित कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।
डॉ. सिंह ने अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने साइप्रस (1993) में राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में और वियना में 1993 में आयोजित किए गए विश्व मानवाधिकार सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडलों का नेतृत्व किया है।
अपने राजनैतिक कॅरियर में, डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे हैं। वहां वे 1998 और 2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनावों के बाद 22 मई को प्रधान मंत्री पद की शपथ ली तथा 22 मई 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ ली।
डॉ. सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं।

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