Tuesday, September 3, 2013

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक

नई दिल्ली : भूख से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे बडे कार्यक्रम को हरी 

झंडी देते हुए संसद ने सोमवार को ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा 

विधेयक को पारित कर दिया जिसमें देश की दो तिहाई अबादी को भारी 

सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करने का प्रावधान है।

इस महत्वाकांक्षी विधेयक को सरकार पासा पलट देने वाला उपाय मान रही है और इससे देश की 82 करोड़ आबादी को फायदा मिलेगा। राष्ट्रपति से अनुमोदन मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जायेगा।

राज्यसभा ने इस विधेयक और सरकार द्वारा इस संबंध में पांच जुलाई को लाये गये अध्यादेश को खारिज करने के संकल्प पर एक साथ हुई चर्चा के बाद इस प्रस्तावित कानून को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके पहले सदन ने विपक्ष के संकल्प को खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पिछले हफ्ते ही मंजूरी प्रदान कर चुकी है।

विपक्ष द्वारा इस विधेयक के विभिन्न अनुच्छेदों पर लाये गये 300 से अधिक संशोधनों को उच्च सदन ने नामंजूर कर दिया।

विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया एक हथकंडा है। साथ ही इसमें खाद्य क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं की ‘रिपैकेजिंग’ कर दी गयी है।

इस विधेयक में लोगों को पांच किलोग्राम चावल, गेहूं एवं मोटा अनाज क्रमश: तीन, दो और एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से हर माह प्रदान करने की गारंटी दी गयी है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री के वी थामस ने संप्रग सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने से पहले राज्यों से चर्चा नहीं करने के आरोपों से इंकार किया। 
उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी थी तथा इस प्रस्तावित कानून में किसानों के हितों की रक्षा के पर्याप्त प्रावधान किये गये है।

उन्होंने कहा कि राज्यों से कई बार सलाह मशविरा किया गया था तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, छत्तीसगढ़ के रमन सिंह सहित अधिकतर मुख्यमंत्रियों से बातचीत की गयी।

उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नये उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा। थामस ने कहा कि जब केन्द्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा। ‘हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे। हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते।’

थामस ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली के स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि विभिन्न राज्यों में फिलहाल जो योजनाएं चल रही हैं उन्हें प्रस्तावित कानून के तहत संरक्षण मिलेगा।

थामस ने विभिन्न राज्यों के सदस्यों द्वारा अपने प्रदेशों में चल रही खाद्य सुरक्षा योजना को आदर्श बताये जाने पर कहा कि उनकी योजनाएं एक प्रदेश के लिए आदर्श हो सकती है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के मामले में विभिन्न पक्षों पर ध्यान रखना होता है क्योंकि अलग अलग राज्यों की विभिन्न जरूरतें होती हैं। 

इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकतर आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं।।,30,000 करोड़ रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए करीब 6 करोड टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी।

यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और। रुपये प्रति किलोग्राम के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2 . 43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।

कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़ों की अपनी आदर्श योजनाएं हैं। हर राज्य आदर्श है। लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते। छत्तीसगढ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे।

उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाये गये हैं। (एजेंसी)

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